"उसकी क्या तारीफ करूँ"
उसकी क्या तारिफ करू,
वो तो ख़ुद में एक तारिफ लगती है!
कोई उसे जाकर कह दे के वो इतना शृंगार ना करे,
में अपनी मोहब्बत का ईजहार करू तो वो मना ना करे,
ये छुप छुप कर तेरा दीदार अब होगा ना मुझसे,
अब मुझे खुल के तेरा दीदार करने से मना ना करे,
मुझे तेरा दिल बड़ा साफ़ लगता हैं,
मुझे पता नही पर क्यू तु मुझे इतनी खास लगती है,
मै उपरवाले की "लिखावट" सा लगता हुँ,
तु उस लिखावट की "तर्ज़" सी लगती है,
जब तु मिलती है मुझे तो "बरसात" लगती है,
तु "नुसरत साहब" का कोई प्यार भरा "गीत" लगती है,
अगर मे खुद को कहु "श्री राम" के चरणों की धूल, तो वो मुझे "सीता" लगती है,
अगर मे खुद को कहु "श्री कृष्ण" के कंठ मे लटकते हुए हार का फूल, तो वो मुझे "राधा रानी" लगती है,
अगर मे खुद को कहु "श्री कृष्ण" की बांसुरी, तो वो मुझे उसका "संगीत" लगती है,
अगर मे खुद को कहु "वीर" ,तो वो मुझे "ज़ारा" लगती है,
अगर मे खुद को कहु "रांझा", तो वो मुझे "हीर" लगती है,
अगर मे खुद को कहु "महिवाल", तो वो मुझे "सोणि(सोनी)" लगती है,
तो वो मुझे बड़ी सोणि लगती है
उसकी क्या तारिफ करू
वो तो ख़ुद में एक तारिफ लगती है
@Ziddi_Kuri_Soniya
❤️❤️
ReplyDeleteHi please do follow the link https://winkeyorbit.blogspot.com/
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