Haan Tum Us Barish Ki Boond Ki Tarah Ho...!!


तुम उस बारिश की बूंदों की तरह को,
जो काफ़ी अरसे की गर्मियों के बाद आती है,
हां तुम वहीं पहली बारिश की तरह हो,
जो मन को सुकून देती है,
मन करता है झूम उठू इस बारिश मैं,

कभी ये बारिश थम जाती है,
कभी बरस पड़ती है,
बिलकुल तुम्हारी तरह है ना ये बारिश,
जैसे तुम पल भर मैं खफ़ा, तो पल भर मैं अपने,
जब ये पानी ज़मीन को चूमता है,
और इनके मिलन से वो मिट्टी की महक आती है,
जो दिल को बड़ा लुभाती है,
हां तुम इस ख़ुशबू की तरह हो,
जो चारो तरफ़ रह जाते हो,
जब मोर नाचने के लिए उस बारिश को तरसते है,
और फिर उस बारिश के बरस जाने पर नाचते है गाते है,
हां तुम भी इस इंतेज़ार के लम्हे की तरह हो,
जो एक पल मैं खुशी लाती है,

चाय का पहला घूट जब जुबां को छूता है,
और मन से वो सुकून भरी आवाज़ आती है,
हां तुम उस चाय की चुस्की की तरह हो जो हर मौसम मैं भाती है,

हां तुम उस बारिश की बूंदों की तरह को,
जो काफ़ी अरसे की गर्मियों के बाद आती है।


@Ziddi Kuri Soniya

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thanks for read my blog.

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