Bas Ek Shayar Ki Mohbbat Ho Jaau.....!!!
की कुछ ज्यादा बड़ी चाहत नही मेरी,
बस एक शायर की मोहब्बत हो जाऊं,
मैं दिल से सीधा पन्नों पर उतरु,
लफ्ज़ो से तराशी जाऊ,
वो कलम उठा और प्यार लिखे,
मैं पंक्ति बन उभर आउ,
कोई ज्यादा बड़ी चाहत नही मेरी,
बस एक शायर की मोहब्बत हो जाऊं,
साँझ ढले वो लिखने बैठे,
मैं ख्यालों मैं चली आउ,
खुली आँखों से देखें जिसको,
वो ख़ूबसूरत से ख़्वाब बन जाऊं,
की ज्यादा बडी चाहत नही मेरी,
बस एक शायर की मोहब्बत हो जाऊं,
नज़र उठा वो चाँद को देखे,
मैं चाँद किताब का हो जाऊं,
हर महफ़िल मैं वो पढ़े मुझे,
वो गज़ल मुक़म्मल हो जाऊं,
की कोई ज़्यादा बड़ी चाहत नही मेरी,
बस एक शायर की मोहब्बत हो जाऊं।
@Ziddi Kuri😊
Nice 👌
ReplyDeleteThis poem is not urs.... Stop copying....
ReplyDeleteThis is by Amandeep kaur
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