नामौजूदगी तेरी.......!!!!

तुम तन्हाइयां बख्शोगे मुझे वो भी मंज़ूर है।
बस कह देना दिल से दी है।

चलो धोखा ही था तुम्हारा इश्क़ ,
सब झूठ था,,******
तो झूठ अपनी जुबान को कहने देते।

मैं खुश थी मुझे धोखे मैं ही रहने देते।
की खाली नही है नामौजूदगी तेरी,
ये भरी हुई है तेरी हर वो याद से,
तुझसे कही थी जो मेने हर उस बात से,
Jaana.....!!
भरी हुई है नामौजूदगी तेरी.....!!
किनारो तक तेरे एहसास से...!!
तन्हाई कहा है ये कोई...!!
तेरा ख्याल जो दिलों दिमाग पर है।
मैं अकेली हु, तन्हा नहीं।
तेरी यादों का हाथ मेरे हाथ पर है।
बातें भी करती है मेरी आंखे,
अश्कों में ज़रिये हर टूटे ख़्वाब से,
Jaana.....!!
भरी हुई है नामौजूदगी तेरी.....!!
किनारो तक तेरे एहसास से...!!
मेरी ज़ुल्फ़ें नाराज़ है कि तू कहा है,
मेरी खुशियां उदास है कि तू कहा है।
अरसा हुआ चाँद खिला नही है मेरे आसमां मैं,
तारों की आवाज है कि तू कहा है।
माँगती है ख़बर तेरी,
मेरी हालत हर इंसान से ।
Jaana.....!!
भरी हुई है नामौजूदगी तेरी.....!!
किनारो तक तेरे एहसास से...!!
तू नही था तो पन्नों पर सफ़र करने गई,
पन्नों के बीच रखा था,
तूने दिया था उस गुलाब पर नज़र ठहर गई।
अब ना कोई महक है,
ना है कोई नूर इस कम्बख़त मैं,
यू तो इस सूखे गुलाब सा ही है बेजान मेरा दिल।
एक बस तेरे नाम का है अब भी गुरूर इस कम्बख़त मैं,
जिंदा है सब खोकर भी,
ये गुलाब भी, ये दिल भी।
जाने किस आस से।
Jaana.....!!
भरी हुई है नामौजूदगी तेरी.....!!
किनारो तक तेरे एहसास से...!!
इस कमरे का जो ये कोना है,
याद है मुझे,
की जब यहाँ क़रीब तू मेरे आया था,
मेरी उंगलियों से अपनी उँगलियाँ उलझा कर,
तू मेरी तरफ देख मुस्कुराया था।
होले से मुझे अपनी ओर कर,
तू लबों को कानो तक लाया था,
तू चली गई तो रह नही पाऊँगा,
ये कहकर तूने मुझे सीने से लगाया था।
अब जो तू नही है तो गूंजता है ये कोना भी,
Jaanaa तेरी उस आवाज़ से,
Jaana.....!!
भरी हुई है नामौजूदगी तेरी.....!!
किनारो तक तेरे एहसास से...!!

@Zidd Kuri

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