" सोचती हूँ.........." !!!
"सोचती हूँ, के कमी रह गई होगी कुछ शायद,
या
जितना भी था वो काफी ना था,
नहीं समझ पायी थी तो समझा दिया होता
या
जितना भी समझ पायी थी वो काफी ना था,
शिकायत थी तुम्हारी के मैं जताती नहीं |
प्यार है तो कभी जमाने को बताती क्यों नहीं |
अरे मोहब्बत की क्या मैं नुमाईश करती |
मेरी आँखों में जितना तुम्हें नजर आया,
क्या वो भी काफी नहीं था |
"सोचती हूँ, के कमी रह गई होगी कुछ शायद
या
जितना भी था वो काफी ना था |
"सोचती हूँ कभी पन्नों पर उतार लूँ मैं तुम्हें I
तुम्हारे मुँह से निकले सारे अल्फाजों को याद कर लूँ कभी I
ऐसी क्या मज़बूरी होगी तुम्हारी की तुम्हें हम याद आते नहीं I
ऐसी क्या मज़बूरी होगी तुम्हारी की तुम्हें हम याद आते नहीं I
सोचती हूँ तोहफा भेज कर तुम्हें अपनी याद दिला दूँ कभी I
सोचती हूँ कभी पन्नों पर उतार लूँ मैं तुम्हें " I
nc
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